दुर्गा सप्तशती पाठ का फल ?

दुर्गा सप्तशती अध्याय -1

अथ श्री दुर्गा सप्तशती ॐ अध्याय- 013 महर्षि ऋषि का राजा सुरथ और समाधि को देवी की महिमा बताना यदि साधक को किसी भी प्रकार की चिंता है, किसी भी प्रकार का मानसिक विकार अर्थात मानसिक कष्ट है तो दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय के पाठ से इन सभी मानसिक विचारों और दुष्चिंताओं से मुक्ति मीलती है। मनुष्य की चेतना जागृत होती है और विचारों को सही दिशा मिलती है।किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार आप पर हावी नहीं होते हैं। इस प्रकारदुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय से आपको हर प्रकार की मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -2

दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय के पाठ से मुकदमे में विजय मिलती है। किसी भी प्रकार का आपका झगड़ा हो, वाद विवाद हो, उसमें शांति आती है, और आपके मान-सम्मान की रक्षा होती है। दूसरा पाठ विजय के लिए होता है किंतु आपका उद्देश्य आपकी मंशा सही होनी चाहिए तभी ये पाठ फल देता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -3

दुर्गा सप्तशती के तीसरे अध्याय का पाठ शत्रओं से छुटकारा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। शत्रुओं का भय व्यक्ति के जीवन में बहुत पीड़ा का कारण होता है क्योंकि भय ग्रस्त व्यक्ति चाहे वो कितनी भी सुख-सुविधा में रह रहा हो, कभी भी सुखी नहीं रह सकता । अतः इस अध्याय के पाठ करने से आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार के भय नष्ट हो जाते हैं।यदि आपके गुप्त शत्रु हैं जिनका पता नहीं चलता और जो सबसे ज्यादा हानि पहुंचा सकते हैं तो ऐसे शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए तीसरे अध्याय का पाठ करना सर्वोत्तम होता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -4

दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय माँ भगवती की भक्ति प्राप्त करने के लिए उनकी शक्ति, उनकी ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए और उनके दर्शनों के लिए सर्वोत्तम है। वैसे तो इस ग्रंथ के प्रत्येक अध्याय के प्रत्येक शब्द में माता की ऊर्जा निहित है किंतु फिर भी की निष्काम भक्ति का अनुभव करने के लिए और दर्शनों के लिए यह अध्याय सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -5

पांचवे अध्याय के प्रभाव से हर प्रकार के भय का नाश होता है। चाहे वो भूत-प्रेत की बाधा हो, बुरे स्वप्न परेशान करते हो, या व्यक्ति हर जगह से परेशान हो, तो पांचवें अध्याय के पाठ से इन सभी चीजों से मुक्ति मिलती है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -6

इस अध्याय का पाठ किसी भी प्रकार की तंत्र बाधा को हटाने के लिए किया जाता है । इसके अतिरिक्त यदि आपको लगता है कि आपके ऊपर जादू-टोना किया गया हो, आपके परिवार को बांध दिया हो, या राहु और केतु से आप पीड़ित हो तो छठवें अध्याय का पाठ इन सभी कष्टों से आपको मुक्ति दिलाता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -7

किसी भी विशेष कामना की पूर्ति के लिए सातवाँ अध्याय सर्वोत्तम है। सच्चे और निर्मल हृदय से देवी की पूजा की जाती है और सातवें अध्याय का पाठ किया जाता है तो व्यक्ति की कामना पूर्ति अवश्य होती हैं।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -8

यदि आपका कोई प्रिय आपसे बिछड़ गया है और आप उसे ढूँढकर थक चुके हैं तो आठवें अध्याय का पाठ चमत्कारिक फल प्रदान करता है। इसके अलावा वशीकरण के लिए भी इस अध्याय का पाठ किया जाता है, लेकिन वशीकरण सही व्यक्ति, सही मंशा के साथ किया जा रहा हो, इसका ध्यान रखना बहुत आवश्यक है, नहीं तो लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है। इसके अलावा धन लाभ के लिए धन प्राप्ति के लिए भी आठवें अध्याय का पाठ बेहद शुभ माना जाता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -9

नौवा अध्याय का पाठ संतान प्राप्ती के लिए किया जाता है। पुत्र प्राप्ति के लिए या संतान से संबंधित किसी भी परेशानी के निवारण के लिए दुर्गा सप्तशती के नवम अध्याय का पाठ किया जाता है। . इसके अलावा संतान की उन्नति,प्रगति के लिए तथा किसी भी प्रकार की . खोई हुई अमूल्य वस्तु की प्राप्ति के लिए भी नौवें अध्याय का पाठ करना उत्तम होता है। यह आपकी मनोकामना पूर्ण करने में सहायक है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -10

यदि संतान गलत रास्ते पर जा रही है तो ऐसी भटकी हई संतान को सही रास्ते पर लाने के लिए दसवां अध्याय सर्वश्रेष्ठ है। अच्छे और योग्य पुत्र की कामना के साथ दसवें अध्याय का पाठ किया जाए, तो योग्य संतान की प्राप्ति होती हैं और प्राप्त संतान सही रास्ते पर चलती है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -11

आपके व्यापार में हानि हो रही है ,पैसों का जाना रुक नहीं रहा है, किसी भी प्रकार से धन की हानि आपको हो रही हो, तो इस अध्याय का पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव से आपके अनावश्यक खर्चे बंद हो जाते हैं और घर में सुख शांति का वास रहता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -12

इस अध्याय का पाठ करने से व्यक्ति को मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जिस व्यक्ति पर गलत दोषारोपण कर दिया जाता है, जिससे उसके सम्मान की हानि होती है तो ऐसी स्थिती से बचने के लिए दुर्गा सप्तशती के बारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। रोगों से मुक्ति के लिए भी इस अध्याय का पाठ करना असीम लाभकारी है। कोई भी ऐसा रोग जिससे आप वर्षों से दुखी हैं और डॉक्टर की दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा है तो इस अध्याय का पाठ आपको अवश्य करना चाहिए।

दुर्गा सप्तशती अध्याय -13

तेहरवें अध्याय का पाठ माँ भगवती की भक्ति प्रदान करता है। किसी भी साधना के बाद माँ की पूर्ण भक्ति के लिए इस अध्याय का पाठ अति महत्वपूर्ण है। किसी विशेष मनोकामना को पूर्ण करने के लिए, किसी भी इच्छित वस्तु की प्राप्ति के लिए इस अध्याय का पाठ अत्यंत प्रभावी माना गया है।

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