मंगल भात पूजन क्या हैं ?

सम्पूर्ण विश्व मे भारत देश के अंतर्गत मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर मे एक मात्र मंगल गृह का मंदिर है जहा ब्रह्माण्ड से मंगल ग्रह की सीधी किरणे कर्क रेखा पर स्थित स्वयम्भू शिवलिंग के उपर पढ़ती है जिससे यह शिवलिंग मंगल गृह के प्रतीक स्वरुप मे जाना जाता है तथा यहा पर पूजन अभिषेक जाप व् दर्शन से मंगलदोष का निवारण होता है ! " मंगल दोष निवारण भात पूजन द्वारा एक मात्र अवंतिका (उज्जैन ) मे ही संपन्न कराया जाता है यहाँ विदिवत भात पूजन करने से मंगल गृह के दुष्प्रभाव मे कमी आकर शुभ फलो की वृद्धि होती है !"

पूजन की विधि

भात पूजन मे सर्वप्रथम गणेश गौरी पूजन के पश्चात नवग्रह पूजन के पश्चात् नवग्रह पूजन , कलश पूजन , एवं शिवलिंग रूप भगवान का पंचामृत पूजन एवं अभिषेक वैदिक मंत्रोचार दवरा किया जाता है , पश्चात् भगवान की भात अर्पित कर आरती एवं पूजन किया जाता है . जिससे पूजन करने वाले को विशेष शुभ फलो की प्राप्ति होती है, भात पूजा मंगल दोष निवरण का प्रभ्वी एवं तवरित उपाय है !

मंगल भात पूजा की कथा

अंधकासुर नामक दैत्य ने भगवान् शिव की अडिग तपस्या की और बदले में अंधकासुर नामक दैत्य को शिवजी ने वरदान दे दिया कि उसके रक्त से सैकड़ों दैत्य जन्म लेंगे | वरदान के बाद इस दैत्य ने अवंतिका में तबाही मचा दी। सभी देवता, ऋषियों, मुनियो और मनुष्यो का वध करना शुरू कर दिया | तब दीन-दुखियों ने शिवजी से प्रार्थना की। भक्तों के संकट दूर करने के लिए स्वयं शंभु ने अंधकासुर से युद्ध करने का निर्णय लिया | शिवजी का पसीना बहने लगा। रुद्र के पसीने की बूँद की गर्मी से उज्जैन की धरती फटकर दो भागों में विभक्त हो गई और मंगल ग्रह का जन्म हुआ। शिवजी ने दैत्य का संहार किया और उसकी रक्त की बूँदों को नवउत्पन्न मंगल ग्रह ने अपने अंदर समा लिया। कहते हैं इसलिए ही मंगल की धरती लाल रंग की है।

जब मंगल उग्र अंगारक स्वभाव के हो गए तब ब्रम्हाजी, ऋषियों, मुनियो, देवताओ एवं मनुष्यों ने सर्व प्रथम मंगल की उग्रता की शांति के लिए दही और भात का लेपन किया, दही और भात दोनो ही पदार्थ ठन्डे होते है, जिससे मंगल ग्रह की उग्रता की शांति होती हैं। इसी कारण जिन प्राणिओ की कुंडली में मंगल ग्रह अतिउग्र होता है उनको मंगल भात पूजा करवानी चाहिए, इस पूजा का उज्जैन में करवाने के कारण यह अत्यंत लाभदायी और शुभ फलदायी होती है। कुंडली में 1/4/7/8/12 भाव में मंगल हो तो पत्रिका मांगलिक होती हैं |

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