श्री राम कथा क्या है?

राम नाम की महिमा अनंत है. रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने इसका बहुत ही सुंदर वर्णन किया है. राम नाम से बड़ा कुछ भी नहीं. यह सबसे ऊपर है, सब देवों से बड़ा, यहां तक कि जिन देवी देवताओं के अंदर किसी को वरदान देने की क्षमता है, यह राम नाम उन देवों को भी वरदान देता है. यहां तक की राम स्वयं अपने नाम का ही अनुसरण करते हैं. नाम के पीछे-पीछे ठीक उसी तरह चलते हैं जैसे स्वामी के पीछे सेवक, सुनने समझने में नाम और नामी एक ही प्रतीत होते हैं, पर वास्तव में हैं दोनों अलग और उनमें प्रीति भी स्वामी और सेवक जैसी है.

श्री राम कथा संक्षिप्त परिचय

महर्षि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जीवन गाथा पर आधारित रामचरितमानस अत्यंत ही मधुर एवं भक्ति युक्त कथा है। श्रीरामचरितमानस के नायक राम है । जिनको एक मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में दर्शाया गया है। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री रामचंद्र जी के निर्मल एवं विशद चरित्र का वर्णन किया है। उन्ही प्रभु श्री राम की जीवन गाथा को 9 दिनों तक गाया जाता है जो कि रामकथा के रूप में प्रसिद्ध है। राम कथा हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। कि एक पुत्र को कैसा होना चाहिए। एक भाई को कैसा होना चाहिए। एक पत्नी का धर्म क्या होता है । एक मित्र का धर्म क्या होता है। एक राजा का कर्त्तव्य क्या होता है । राजा को केसी न्याय निष्ठा रखना चाहिए। राम कथा में पिता की आज्ञा को शिरोधार्य करते हुए प्रभु श्री राम ने 14 वर्षों तक वनवास की यात्रा की और सिखाया की “मात पिता गुरु प्रभु के बानी। बिनही विचार करिए शुभ जानी।। भगवान राम अयोध्या में रहे तब तक केवल राम थे । पर जब वन में जाकर केवट पर कृपा की ,निषाद को गले लगाया, भक्ति मति शबरी माता पर कृपा की ,वंचित सुग्रीव को गले लगाया ,गृद्धराज जटायु को गोद में उठाया। तब वे केवल राम नहीं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम कहलाए। राम कथा में वनवास राम जी को मिला परंतु जानकी जी पति की सेवा हेतु पातिवृत्य धर्म का पालन करने हेतु 14 वर्ष कंकर पत्थरों पर चली । और हमें सिखाया की पत्नी का धर्म क्या होता है । सीता जी चाहती तो अयोध्या में रह लेती । जनकपुर चली जाती क्या होता है । सीता जी चाहती तो अयोध्या में रह लेती । जनकपुर चली जाती परंतु नहीं उन्होंने दुख के दिनों में भी पति का साथ नहीं छोड़ा। पतिव्रत धर्म निभाया । करुणानिधान -राम कथा में प्रभु श्रीराम की कृपा एवं करुणा अद्भुत है । वन में जाते वक्त बड़े-बड़े महात्माओं के आश्रम में न जाकर प्रभु श्रीराम भक्ति मति शबरी माता की कुटिया पर जाते हैं । क्योंकि प्रभु श्री राम प्रेम को सर्वोपरि मानते हैं । पिता की अंत्येष्टि में अयोध्या नहीं आए परंतु गृद्धराज जटायु को गोद में उठाकर आंसू बहाते हैं । क्योंकि प्रभु श्रीराम करुणानिधान है ।

सेवक हनुमान

श्री राम कथा में श्री हनुमान जी महाराज का अद्भुत योगदान है कहते हैं शिवजी ही सेवा हेतु हनुमान बनकर आए। किसी ने पूछा आप मनुष्य भी बन कर आ सकते थे, वानर बनकर की ही क्यों आए। तब शिवजी ने कहा यदि में मनुष्य बनकर आता तो राम एवं लक्ष्मण को कंधे पर नहीं उठा पाता इसीलिए वानर बन कर आया । ताकि भगवान को अपने कंधे पर बिठा सकुँ । भगवान की सेवा कर सकू। सेवा कैसे की जाती है सेवक का धर्म क्या होता है यह सिखाया सेवक हनुमान ने। रामचरितमानस में 7 कांड होते हैं बालकांड, अयोध्याकांड ,अरण्यकांड, किष्किंधा कांड ,सुंदरकांड, लंका कांड एवं उत्तर कांड ।। श्री राम कथा का वाचन 9 दिनों तक किया जाता है जिसे नवान्हपारायण कहते है ।

Quick Contact

पंडित राजेश व्यास जी द्वारा उज्जैन मे कालसर्प दोष निवारण, मंगल दोष भात पूजा, महामृत्युंजय जाप, नवग्रह शांति, चांडाल दोष, वास्तु दोष शांति, रुद्राभिषेक पूजा, अर्क/कुम्भ विवाह पूजा हेतु वर्ष भर लोग आते है, आप भी अगर किसी दोष से परेशान है, और अपने बिगड़े काम बनाने हेतु उज्जैन मे पूजा करना चाहते है तो अभी पंडित जी से निशुल्क परामर्श ले। क्योकि पंडित जी द्वारा सभी प्रकार की पूजाये न्यूनतम शुल्क में करवाई जाती है

 9826686217

संपर्क करें

kaal sarp dosh puja ujjain, bhasma aarti booking, ujjain mahakal bhasm aarti, mangalnath mandir ujjain,ujjain mahakal bhasm aarti online booking, live darshan mahakaleshwar, Mangalnath mandir Pooja cost, mahakaleshwar darshan online booking,